109. जलान्तश्चन्द्रचपलं जीवनं खलु देहिनाम् |तथाविधिमिति त्वाशाश्वत्कल्याणमाचरेत् || Life of a man is like a shaky reflection of moon in the water (is very
Subhashitas
Sanskrit Subhashitas 124
Sanskritचिता चिंता समाप्रोक्ता बिंदुमात्रं विशेषता।सजीवं दहते चिंता निर्जीवं दहते चिता॥ Hindiचिता और चिंता समान कही गयी हैं पर उसमें भी चिंता में एक बिंदु
Sanskrit Subhashitas 125
Sanskritक्षणशः कणशश्चैव विद्यामर्थं च साधयेत् । क्षणत्यागे कुतो विद्या कणत्यागे कुतो धनम्॥ Hindiक्षण-क्षण विद्या के लिए और कण-कण धन के लिए प्रयत्न करना चाहिए।
Sanskrit Subhashitas 126
Sanskritअपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोचते। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी॥ Hindiहे लक्ष्मण! सोने की लंका भी मुझे अच्छी नहीं लगती है। माता और
Sanskrit Subhashitas 127
Sanskritनारिकेलसमाकारा दृश्यन्तेऽपि हि सज्जनाः।अन्ये बदरिकाकारा बहिरेव मनोहराः॥ Hindiसज्जन व्यक्ति नारियल के समान होते हैं, अन्य तो बदरी फल के समान केवल बाहर से ही
Sanskrit Subhashitas 128
Sanskritनाभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते वने।विक्रमार्जितसत्वस्य स्वयमेव मृगेन्द्रता॥ Hindiकोई और सिंह का वन के राजा जैसे अभिषेक या संस्कार नहीं करता है, अपने पराक्रम
Sanskrit Subhashitas 129
Sanskritगते शोको न कर्तव्यो भविष्यं नैव चिन्तयेत् । वर्तमानेन कालेन वर्तयन्ति विचक्षणाः॥ Hindiबीते हुए समय का शोक नहीं करना चाहिए और भविष्य के लिए
Sanskrit Subhashitas 130
Sanskritयः पठति लिखति पश्यति परिपृच्छति पंडितान् उपाश्रयति।तस्य दिवाकरकिरणैः नलिनीदलं इव विस्तारिता बुद्धिः॥ Hindiजो पढ़ता है, लिखता है, देखता है, प्रश्न पूछता है, बुद्धिमानों का
Sanskrit Subhashitas 131
Sanskritउदये सविता रक्तो रक्त:श्चास्तमये तथा।सम्पत्तौ च विपत्तौ च महतामेकरूपता॥ Hindiउदय होते समय सूर्य लाल होता है और अस्त होते समय भी लाल होता है,
Sanskrit Subhashitas 132
Sanskritविदेशेषु धनं विद्या व्यसनेषु धनं मति:।परलोके धनं धर्म: शीलं सर्वत्र वै धनम्॥ Hindiविदेश में विद्या धन है, संकट में बुद्धि धन है, परलोक में