Sanskrit Subhashitas 134

Sanskritप्रदोषे दीपकश्चंद्र: प्रभाते दीपको रवि:।त्रैलोक्ये दीपको धर्म: सुपुत्र: कुलदीपक:॥ Hindiशाम को चन्द्रमा प्रकाशित करता है, दिन को सूर्य प्रकाशित करता है, तीनों लोकों को

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Sanskrit Subhashitas 9

9. व्यालं बालमृणालतन्तुभिरसौ रोद्धुं समुज्जृम्भते    छेत्तुं वज्रमणिं शिरीषकुसुमप्रान्तेन सन्नह्यति।   माधुर्यं मधुबिन्दुना रचयितुं क्षाराम्बुधेरीहते नेतुं वाञ्छति    य: खलान् पथि सतां सूक्तै: सुधास्यन्दिभि:॥ Wanting

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Sanskrit Subhashitas 25

25. धीरा निन्दन्तु नीतिनिपुणा यदि वा स्तुवन्तु लक्ष्मी: समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम्।अद्यैव वा मरणमस्तु युगान्तरे वा न्याय्यात्पथ: प्रविचलन्ति पथं न धीरा:॥ Discerning men may slight

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Sanskrit Subhashitas 161

Sanskritन प्रहॄष्यति सन्माने नापमाने च कुप्यति।न क्रुद्ध: परूषं ब्रूयात् स वै साधूत्तम: स्मॄत:॥ Hindiजो सम्मान करने पर हर्षित न हों और अपमान करने पर

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Sanskrit Subhashitas 112

Sanskritपातितोऽपि कराघातैरुत्पतत्येव कन्दुकः।प्रायेण साधुवृत्तानामस्थायिन्यो विपत्तयः ॥ Hindiहाथ से पटकी हुई गेंद भी भूमि पर गिरने के बाद ऊपर की ओर उठती है, सज्जनों का

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Sanskrit Subhashitas 95

95. विधिवैपरीत्य आखु: कैलासशैलं तुलयति करटस्ताक्ष्र्यमांसाभिलाक्षी बभ्रुर्लाङ्गूलं चलयति चपलस्तक्षकाहि जिघांसु:।भेक: पारं यियासुर्भुजगमपि महाधस्मरस्याम्बुराशे: प्रायेणासन्नपात: स्मरति समुचितं कर्म न क्षुद्रकर्मा॥ A rat attempts to life the

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