Sanskrit Subhashitas 125

Sanskritक्षणशः कणशश्चैव विद्यामर्थं च साधयेत् । क्षणत्यागे कुतो विद्या कणत्यागे कुतो धनम्॥ Hindiक्षण-क्षण विद्या के लिए और कण-कण धन के लिए प्रयत्न करना चाहिए।

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Sanskrit Subhashitas 110

110. विजेतव्या लंका चरणतरणीयो जलनिधि विपक्ष: पौलस्त्यो रणभुवि सहायाश्च कपय: || तथाप्येको राम:सकलमवधीद्राक्षसकुमं | क्रियासिद्धि: सत्वे भव्ति महतां नोपकरणे || For defeating Lanka, (Lord

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Sanskrit Subhashitas 16

16. उत्तमजना       प्रारभ्यते न खलु विघ्नभयेन नीचै: प्रारभ्य विघ्नविहिता विरमन्ति मध्या:।       विघ्नै: पुन: पुनरपि प्रतिहन्यमाना: प्रारभ्य चोत्तमजना न परित्यजन्ति॥

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Sanskrit Subhashitas 32

32. सज्जना अपमानितोऽपि कुलजो न वदति पुरुषं स्वभावदाक्षिण्यात्।नहि मलयचन्दनतरु: परशुप्रहत: स्रवेत् पूयम्॥ One well born, though insulted, does not hit back in the same strain

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Sanskrit Subhashitas 48

48.  सज्जना अप्रियवचनाङ्गारैर्दग्धोऽपि न विप्रियं वदत्यार्य:।किं दह्यमानमगरु स्वभावसुरभिं परित्यजति॥ A man of culture does not speak unpleasantly though burnt by the burning coals of displeasing

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Sanskrit Subhashitas 171

Sanskritसतां हि दर्शनं पुण्यं तीर्थभूताश्च सज्जनाः।कालेन फलते तीर्थम् सद्यः सज्जनसङ्गतिः॥ Hindiसज्जनों के दर्शन से पुण्य होता है, सज्जन जीवित तीर्थ हैं, तीर्थ तो समय

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Sanskrit Subhashitas 154

Sanskritसर्वं परवशं दु:खं सर्वम् आत्मवशं सुखम्।एतद् विद्यात् समासेन लक्षणं सुखदु:खयो:॥ Hindiपराधीन के लिए सर्वत्र दुःख है और स्वाधीन के लिए सर्वत्र सुख। यह संक्षेप

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Sanskrit Subhashitas 121

Sanskritक्षमा बलमशक्तानाम् शक्तानाम् भूषणम् क्षमा।क्षमा वशीकृते लोके क्षमयाः किम् न सिद्ध्यति॥ Hindiक्षमा निर्बलों का बल है, क्षमा बलवानों का आभूषण है, क्षमा ने इस

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